माँ
पूजा, माँ
आरती, माँ
को मानें ईश।
आँचल
में अमृत भरा, मुख पर शुभ आशीष।
मुख
पर शुभ आशीष, भरी ममता से झोली
दुख
लेकर सुख बाँट, बहुत खुश होती भोली।
कहनी इतनी बात, जानिए माँ की
महिमा
प्रातः
का यह मंत्र, वेद सी पावन है माँ!
माँ
की ममता में निहित, यह अनंत आकाश।
गहराई
है नीर सी, जगमग सूर्य प्रकाश।
जगमग
सूर्य प्रकाश, स्वर्ग है यह धरती का
अगर
न इसकी ओट, दिखेगा हर सुख फीका।
माँ
जन्मों का सार, सकल जीवन की झाँकी
तीन
लोक की ज्योत, निहित ममता में माँ की।
मिलता
है बहु पुण्य से, माँ का माथे हाथ।
करें
नमन माँ शक्ति को, भक्ति भाव के साथ।
भक्ति
भाव के साथ, पूर्ण हों सकल इरादे
शुभ
ममत्व की छाँव, दुष्टतम दोष मिटा दे।
कहनी इतनी बात, सुमन सा जीवन
खिलता
माथे
माँ का हाथ, कई पुण्यों से मिलता।
शैशव
बीता गोद में, बचपन भी भय मुक्त।
यौवन
में आशीष सब, मातृ स्नेह से युक्त।
मातृ
स्नेह से युक्त, मिले वरदान अनगिने।
सोए
सुरभित सेज, बुन लिए सुंदर सपने।
माँ
पर दें हम वार, मिला जो हमको वैभव
आजीवन
हो याद, सुहाना
बचपन शैशव।
माँ
बिन अपना कौन है, माँ बच्चों की जान।
जन्म
नहीं केवल दिया, किए सकल सुख दान।
किए
सकल सुख दान, कहाई जीवनधारा
दुनिया
का हर दोष, सिर्फ
ममता से हारा।
माँ
को करें प्रणाम, सफलता पाएँ हर दिन
ममता
की यह खान, न कोई अपना
माँ बिन।
माँ
जैसा कोई नहीं, देख लिया संसार।
किश्ती
थी मँझधार में, हमें उतारा पार।
हमें
उतारा पार, सुख नहीं अपना देखा
हर
बाधा को बाँध, बना दी
लक्ष्मण रेखा।
कहनी इतनी बात, लाख हो रुपया पैसा
देख लिया संसार, नहीं कोई माँ जैसा।
माँ तेरी संतान क्यों, भूली तेरा प्यार।
लालच उसको ले गई, सात समंदर पार।
सात समंदर पार, तुझे एकाकी छोड़ा
जोड़े अपने तार, और दिल तेरा तोड़ा
कहे ‘कल्पना’ अंश, हुआ क्यों अपना बैरी
क्यों भूली वो प्यार, आज संतति माँ तेरी।
- कल्पना रामानी
1 comment:
सुन्दर शब्दों में प्रस्तुत मातृ वंदना निश्चय ही सराहनीय है !!
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